Simran Ansari

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Khwabon ki duniya



रहते थे साथ तेरे उसी
ख्वाबों की दुनिया में,
जो बसानी थी संग तेरे;

हकीकत से रूबरू हुए तो
टूट गए वो ख्वाब सारे
देखे थे जो संग तेरे;

चाहत तेरी थी उन 
ख्वाबों तक ही सिमटी
बदल ना पाए तुम
उन्हें हकीकत में,

ख्वाब भी इतने 
हसीन थे वो,
जो देखे थे संग तेरे
खो जाना चाहते थे
उन्हीं ख्वाबों में,
हो कर इस जहां की
हकीकत से परे;

पर नींद खुली और
ख्वाब टूटे तो 
समझ आई हकीकत
हमें भी;



समाप्त।।।
स्वरचित कविता...


Simrana

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10 Comments

Niraj Pandey

24-Jun-2021 11:28 PM

वाह 👌👌

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🤫

24-Jun-2021 10:48 PM

शानदार...☺️

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